जबहम श्वास लेते हैं तो वायु मेंउपस्थित बैक्टीरिया हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं, फिर वह बैक्टीरिया हमारेफेफड़ों को इनफेक्टेड करतेहैं जिसकी वजह से लंगस इन्फेक्शनस जैसीखतरनाक बीमारी हमारे शरीर में धर कर जातीहै।
जबवायरस, बैक्टीरिया, या फंगल किसीव्यक्ति के फेफड़ों मेंपहुंचकर विकसित होना शुरू कर देते हैंतो फेफड़ों में इन्फेक्शन होने लगता है, फेफड़ों में हवा की छोटी–छोटीथैलियां होती हैं, फेफड़ों में संक्रमण होने का कारण इनथैलियों में मवाद या द्रव्य काभर जाना होता है।
जिसके कारण मरीज को सांस लेनेमें दिक्कत होने लगती है। फेफड़ों में इन्फेक्शन का परीक्षण डॉक्टरकी जांच द्वारा किया जाता है।
फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण, लक्षण एवं उपचार।
फेफड़ों में इन्फेक्शन का पता लगानेके लिए छाती का एक्स–रेया सीटी स्कैन भी किया जाताहै। सामान्य स्वच्छता बनाए रखने एवं नियमित रूप से हाथ धोनेसे फेफड़ों में इन्फेक्शन से काफी हदतक बचाव हो सकता है, फेफड़ों का संक्रमण एकव्यक्ति से दूसरे व्यक्तिमें भी फैल सकताहै।
यह रोगाणु मरीज़के खांसने, छींकने या बोलने सेहवा में फैल जाते हैं। हवा में सांस लेने के कारण यहरोगाणु स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों मेंप्रवेश कर जाते हैं,मरीज के द्वारा संक्रमितकी गई किसी वस्तुके उपयोग से भी किसीस्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों मेंइन्फेक्शन का खतरा बनजाता है। फेफड़ों में हुए इंफेक्शन के इलाज़ केलिए एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल या एंटीफंगल दवाइयोंका इस्तेमाल किया जाता है।
आइए जानते हैं फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण।
(1) खांसी
फेफड़ोंमें इन्फेक्शन के बाद जोखांसी आती है उसमें बलगमकी बहुत मात्रा आती है, और यह बलगमकाफी गाढ़ा तथाबदबूदार हो सकता है, बलगम के रंग कोदेखकर इन्फेक्शन की स्थिति कापता लगाया जा सकता हैकि इंफेक्शन इनिशियल स्टेज पर है, मध्यमहै या फिर बहुतज़्यादा है। पीले व हरे रंगका बलगम इन्फेक्शन का संकेत होताहै।
(2) सांस फूलना
(3) बारबार छींक आना।
(4) तेज़बुखार होना।
(5) सिरमें बहुत तेज़ दर्द होना।
(6) मांसपेशियोंमें दर्द होना।
(7) हार्टबीटका बढ़ना।
(8) नाकबहना व नाक बंदहोना।
(9) गलेमें दर्द होना।
(10) छातीमें अक्सर दर्द रहना।
अब जानते हैंकि जाने–अनजाने में हम ऐसी कौनसी गलतियां करते हैं जिनसे हमारे फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़जाता है?
(1) नाककी जगह मुंह से सांस लेना
मुंहसे सांस लेने से क्योंकि अनफिल्टर्डएयर सीधे लंग्स में चली जाती है जो इन्फेक्शनका कारण बनती है।
(2) फलखाने के बाद पानीपीना।
फलोंको खाने के बाद पानीपी लेने से लंग्स मेंइंफेक्शन हो सकता हैक्योंकि इससे कफ की मात्रामें बढ़ोतरी होती है और यहफेफड़ों में इन्फेक्शन को बढ़ावा देताहै।
(3) पसीनेकी हालत में ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंकपीने से।
इससेकफ और वात कासंतुलन बिगड़ जाता है और फेफड़ोंमें संक्रमण के चांस बढ़जाते हैं।
(4) धुएंऔर प्रदूषण वाली जगह पर ज़्यादातर रहनावह भी बिना मास्कपहने, लंग इन्फेक्शन और डिज़ीज़ काकारण बन सकता है।
(5) हॉस्पिटलके आईसीयू/ सीसीयू/ जनरल वार्ड में बगैर मास्क पहने जाने से।
हॉस्पिटलके मरीज़ वार्ड में ज़्यादा देर तक बिना मास्कपहने रहने से फेफड़ों मेंइन्फेक्शन हो सकता हैक्योंकि यहां मौजूद बैक्टीरिया सीधे फेफड़ों में जाते हैं।
फेफड़ों में इन्फेक्शन का खतरा कबज़्यादा बढ़ जाता है यह भीजानना बहुत ज़रूरी है?
यदिआपका किसी भी प्रकार काऑपरेशन हुआ हो या कोईगहरी चोट लगी हो तो उससेभी आपके फेफड़ों में इंफेक्शन का प्रभाव होसकता है।
अब जान लेतेहैं कि अपने फेफड़ोंमें इन्फेक्शन होने से कैसे बचायाजा सकता है?
(1) नींदअच्छे से लें।
संक्रमणजैसी स्थितियों से निपटने केलिए पूरी तरह नींद लेना या आराम करनाबहुत ज़रूरी है।
नियमितरूप से 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करने से फेफड़ों मेंदबाव कम हो जाताहै और ऑक्सीजन प्राप्तकरने की क्षमता मेंसुधार होता है, जितना हमारा शरीर गतिशील रहेगा उतना हमारे मेटाबॉलिज्म में सुधार आएगा।
(7) फ्लूका टीका लगवाएं।
हरसाल फ्लू के खिलाफ सुरक्षाप्रदान करने वाले कई टीके लगवाएजाते हैं इसीलिए उन
टीकोंको यथोचित अवश्य लगवाएं।
(8) हवाका ध्यान रखें।
जिनलोगों के फेफड़े मेंइंफेक्शन है उनको हवामें प्रदूषण की मात्रा काविशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रदूषित हवा में कई प्रकार केसूक्ष्म कण पाए जातेहैं जो कठोर यातरल भी हो सकतेहैं। जब हवा अधिकप्रदूषित हो उस दौरानजितना हो घर सेबाहर नहीं निकलना चाहिए।
(9) गर्मपानी की भाप लेंये आपके श्वसन तंत्र के लिए औरफेफड़ों के लिए बहुतही अच्छा होता है।
(10) गलेका दर्द दूर करने के लिए गुनगुनेपानी में नमक डालकर दिन में तीन से चार बारगरारे करें।
(11) मांसपेशियोंमें दर्द, छाती में दर्द, सिर में दर्द आदि के लिए डॉक्टरकी सलाह के अनुसार हीदर्द निवारक दवा लिजिए।